ख़बर शेयर करें

औषधीय गुणों का खजाना है अदरक
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
दून विश्वविद्यालय, देहरादून, उत्तराखंड
अदरक‘ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के स्ट्रिंगावेरा से हुई, जिसका अर्थ होता है, एक ऐसा सींग या बारहा सिंधा के जैसा शरीर ।अदरक मुख्य रूप से उष्ण क्षेत्र की फसल है । संभवत: इसकी उत्पत्ति दक्षिणी और पूर्व एशिया में भारत या चीन में हुई । भारत की अन्य भाषाओं में अदरक को विभिन्न नामो से जाना जाता है जैसे- आदू (गुजराती), अले (मराठी), आदा (बंगाली), इल्लाम (तमिल), आल्लायु (तेलगू), अल्ला (कन्नड.) तथा अदरक (हिन्दी, पंजाबी) आदि । अदरक का प्रयोग प्रचीन काल से ही मसाले, ताजी सब्जी और औषधी के रूप मे चला आ रहा है । अब अदरक का प्रयोग सजावटी पौधों के रूप में भी उपयोग किया जाने लगा है । अदरक के कन्द विभिन्न रंग के होते हैं । जमाइका की अदरक का रंग हल्का गुलाबी, अफ्रीकन अदरक (हल्की हरी) होती है। अदरक का वानस्पतिक नाम जिनजिबेर ओफिसिनेल है जो जनजीबेरेसी परिवार से सम्बंध रखती है। अदरक की करीब 150 प्रजातियाँ उष्ण- एवॅ उप उष्ण एशिया और पूर्व एशिया तक पाई जाती हैं। जिनजीबेरेसी परिवार का महत्व इसलिऐ अधिक है क्योंकि इसको “मसाल परिवार“ भी कहा जाता है। भारत में अदरक की खेती का क्षेत्रफल 136 हजार हेक्टर है जो उत्पादित अन्य मसालों में प्रमुख हैं । भारत को विदेशी मुद्रा प्राप्त का एक प्रमुख स्त्रोत हैं । भरत विश्व में उत्पादित अदरक का आधा भाग पूरा करता हैं । भारत में हल्की अदरक की खेती मुख्यत: केरल, उडीसा, आसाम, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, आंध्रप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा उत्तराखंड प्रदेशों में मुख्य व्यवसायिक फसल के रूप में की जाती है । केरल देश में अदरक उत्पादन में प्रथम स्थान पर हैं। अदरक में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो न सिर्फ इम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार होतें हैं बल्कि बीमारियों से भी बचाते हैं. इसमें विटामिन, एंटी-ऑक्सीडेंट्स, कैल्शियम के गुण पाए जाते हैं. औषधीय गुणों से भरपूर है जिसमें प्रचूर मात्रा में विटामिन ए, विटामिन डी और विटामिन ई है। इसके अलावा अदरक में मैग्निशियम, आयरन, जिंक, कैल्शियम होते हैं, जो अदरक को सेहत के लिए फायदेमंद बनाते हैं। मिशिगन यूनिवर्सिटी कांप्रिहेंसिव कैंसर सेंटर के अध्ययन के अनुसार, अदरक से न सिर्फ ओवरी कैंसर की कोशिकाएं नष्ट होती हैं, बल्कि उन्हें कीमोथैरेपी से प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने से भी रोका जो कि ओवरी के कैंसर में एक आम समस्या होती है। दुनिया के सबसे ज्यादा उपजाए जाने वाले मसाले के रूप में अदरक दुनिया का सबसे बहुपयोगी औषधीय गुण वाला पदार्थ है। 100 से ज्यादा बीमारियों में इस चमत्कारी मसाले के औषधीय लाभों पर अनगिनत अध्ययन किए गए हैं। आधे से अधिक पारंपरिक हर्बल औषधियों में इसे शामिल किया जाता है।भारत के आयुर्वेदिक ग्रंथों में अदरक को सबसे महत्वपूर्ण बूटियों में से एक माना गया है। यहां तक कि उसे अपने आप में औषधियों का पूरा खजाना बताया गया है। आयुर्वेदिक चिकित्सक इसको एक शक्तिशाली पाचक के रूप में लेने की सलाह देते हैं क्योंकि यह पाचक अग्नि को भड़काता है और भूख बढ़ाती है। इसके पोषक तत्व शरीर के सभी हिस्सों तक आसानी से पहुंच पाते हैं। आयुर्वेद में अदरक को जोड़ों के दर्द, मतली और गति के कारण होने वाली परेशानी के उपचार में भी इस्तेमाल किया जाता है।ये सर्दी-जुकाम से पीड़ित लोगों के लिए तो ये एक रामबाण इलाज ही है। खांसी-जुकाम और सांस से जुड़ी परेशानियों वाले लोगों को इसे रोज शहद के साथ खाना चाहिए। इसी तरह के शुंठी चूर्ण को मधु और गुड़ के साथ लेने से भी फायदा मिलता है। गले में खराश या ठंड में तेज सिर दर्द होने पर आप इसका काढ़ा बना कर भी पी सकते हैं। वहीं आप अदरक के पेस्ट से भी कई तरह के छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज कर सकते हैं।अदरक के औषधीय गुणों की बात करें, तो इसमें एंटीबायोटिक गुण भी होते हैं, जिसके कारण ये सूजन और अन्य बीमारियों से भी राहत देता है। अदरक में आयरन, कैल्शियम, आयोडीन, क्लो‍रीन व विटामिन सहित कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसके अलावा, अदरक पेट से छोटी आंत तक भोजन को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया को गति देता है और गति बीमारी से पीड़ित लोगों की मदद करता है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में कई पथ होते हैं, जिन्हें सोटास के रूप में जाना जाता है।सूखीढांग में बड़े पैमाने पर अदरक की फसल बर्बाद हो गई है। अधिक बारिश होने की वजह से कई गांवों में बोई गई अदरक की फसल रोग की चपेट में आ गई है। इससे काश्तकारों को नुकसान उठाना पड़ा है। करीब 300 कुंतल अदरक की फसल बर्बाद हो गई है। उन्होंने कहा बीते कुछ समय से लगातार हो रही बारिश से अदरक की फसल रोग की चपेट में आ गई है टिहरी गढ़वाल के खेतू गांव में इस बार अदरक की फसल खेतों में ही सड़ गई। पूरी फसल पीली पड़ गई। हर साल अदरक की फसल से उम्मीद बांधने वाले लघु किसान त्रिलोक सिंह बहुत निराश हैं। अब उनके सामने यह सवाल खड़ा हो गया है कि बीज खरीद के लिए लिया गया लोन कैसे चुकाएंगे।त्रिलोक बताते हैं कि पहले भी अदरक की फसल खराब हुई थी। कुमाल्डा में उद्यान विभाग, को बताया है, पर सुनवाई कहां होती है। बीज हमने उन्हीं से खरीदा था। विभाग ने बीज का पैसे ले लिया, अब उनको क्या मतलब।अदरक का पौधा उखाड़कर बताने की कोशिश करते हैं कि उनकी फसल किस कदर बर्बाद हो गई। उनको नहीं पता,अदरक में कीड़ा लगा है या और कोई वजह है। उनके अनुसार विभाग के अधिकारी यहां नहीं पहुंचते। बताते हैं कि फसल पहले भी खराब हुई थी, इस बार ज्यादा ही है। किसी ने तीन, किसी ने चार कुंतल अदरक बोया, पर नुकसान के सिवाय कुछ हासिल नहीं हुआ। खेतू में लगभग 20 किसानों ने अदरक बोई थी, सभी नुकसान में हैं। अदरक की खेती पर लगभग 24 हजार रुपये खर्च किए, जिस पर उम्मीद थी कि करीब 50 हजार रुपये की फसल मिल जाएगी। अदरक की खेती में काफी मेहनत लगती है। मैंने बैंक से कृषि कार्ड पर 30 हजार का लोन लिया था, जिसे चुकाना चुनौती है। यह लोन एक साल के भीतर चुकाना है।वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि, फसल बर्बाद होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें मुख्य रूप से बीज का खराब होना, प्रतिकूल मौसम, फसल को कीट या रोगमुक्त करने संबंधी उपायों में कमी, पानी की कमी या अधिकता आदि शामिल हैं। कारण कोई भी हो, पर विभाग अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकता। विभाग को फसल खराब होने की प्रमुख वजह तो बतानी ही होगी।आखिरकार नुकसान तो किसान को हो रहा है। विभाग को आकलन करके इस क्षति का मुआवजा देना चाहिए, ताकि किसान कर्ज में न फंसें। ” कृषि एवं बागवानी की उपज बढ़ाने के लिए बीज के चयन एवं खरीद से लेकर फसल प्राप्त करने तथा बाजार तक पहुंच बनाने तक विभाग का सहयोग एवं तकनीकी मार्गदर्शन आवश्यक है। कृषि वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों- कर्मचारियों तक किसानों का संवाद बना रहना चाहिए।खेतू के खेतों में ही सड़ गई अदरक, सरकार को नहीं देता सुनाई महंगे दामों पर अदरक के बीजों को खरीद कर लाना पड़ता है. जब किसान अपने खेतों से अदरक की फसल को मंडियों तक पहुंचाते हैं तो इसका सही दाम नहीं मिलता है जो कि घाटे का सौदा हो गया है. इस कारण से दो-तीन वर्षों की बात की जाए तो किसान धीरे-धीरे अदरक की फसल से मुंह मोड़ते नजर रहे हैं. इस मामले में सहायक उद्यान अधिकारी ने बताया कि कालसी ब्लॉक क्षेत्र में लगभग 1,200 से अधिक किसानों ने 305 हेक्टेयर में अदरक की फसल लगाई है. इसके सापेक्ष इस वर्ष 400 किसानों को उद्यान विभाग कालसी से अदरक के बीज की आपूर्ति की गई है. कुछ किसानों द्वारा बाहर से भी बीज खरीदा गया है. उन्होंने कहा कि किसानों को अदरक की फसल से कितना लाभ होता है, यह मंडियों के रेट पर निर्भर करता है प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम योजना के तहत वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट, प्रोजेक्ट के अन्तर्गत टिहरी जनपद को अदरक में पहचान दिलाने की घोषणा राज्य सरकार द्वारा की गई है।इस योजना के अंतर्गत टिहरी जनपद में अदरक प्रसंस्करण हेतु 9 यूनिट लगनी प्रस्तावित है।प्रधानमंत्री द्वारा स्थानीय लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह महत्वपूर्ण प्रयास है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य स्थानीय बाजार, स्थानीय उत्पाद, स्थानीय आपूर्ति को बढ़ावा देना है।टिहरी जनपद अदरक उत्पादन में राज्य में अग्रणीय जनपदों में से एक है प्रधानमंत्री की इस महत्वाकांक्षी योजना का अपेक्षित लाभ स्थानीय लोगों को तभी मिलेगा जब अदरक का उत्पादन बढ़ेगा और तभी उत्तराखंड की टिहरी जनपद की अदरक में पहचान बनेगी।
लेखक द्वारा उत्तराखण्ड सरकार के अधीन उद्यान विभाग के वैज्ञानिक के पद पर का अनुभव प्राप्त हैं, वर्तमान में दून विश्वविद्यालय है.

You cannot copy content of this page