राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर “छोटे प्रकाशनों को भी सहायता स्वरूप बेलआउट पैकेज दिए जाने चाहिए”

ख़बर शेयर करें

मृत कोविड योद्धा पत्रकारों के परिवार को 50 लाख से 1 करोड़ का मुआवजा दिया जाए,एक्रेडिटेड पत्रकार संघ की मांग

#’25 हजार/माह पेंशन 60 वर्ष से ऊपर की आयु के पत्रकार को दिया जाए जो महामारी के कारण बेरोजगार हुए हैं’, पत्रकार एसोसिएशन (AJA) ने रखी मांग

देहरादून। एक्रेडिटेड पत्रकार एसोसिएशन, AJA, (आर) ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर महामारी प्रभावित पत्रकारों और उनके परिवारों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की मांग को पुरज़ोर तरीक़े से उठाया। दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक प्रेस गोष्ठी में, ‘AJA’ की सक्रिय संस्था ने केंद्र और राज्य सरकार से उन कोविड योद्धा पत्रकारों के परिवारों की देखभाल करने की मांग की, जिन्होंने अपनी ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवा दी।

श्री रमाकांत गोस्वामी, वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व मंत्री, दिल्ली सरकार, ने अपने संबोधन में कहा, “कोविड का विनाशकारी प्रभाव शीर्ष मीडिया घरानों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। कई पत्रकारों ने अपनी नौकरी खो दी है और अपने पेशेवर कौशल के अलावा कुछ और चुना है। लेकिन छोटे मीडिया प्रकाशनों पर ज्यादा ध्यान नहीं जाता है। सरकार के लिए यह देखने और पत्रकारों के परिवारों को मुआवजा देने का समय आ गया है।”

एक्रिडिटेड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (आर) के अध्यक्ष विजयशंकर चतुर्वेदी ने अपने संबोधन में कहा, “कोविड योद्धा पत्रकारों की कई अभूतपूर्व कहानियाँ हैं जिन्होंने कोविड और लॉकडाउन पर अपनी रिपोर्ट के दौरान अपने जीवन का बलिदान दिया। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके बलिदान के बावजूद उनके परिवारों को रोजी-रोटी के लिए दर-दर भटकना पड़ा। हम मांग करते हैं कि सरकार मृतक कोविड योद्धा पत्रकारों के परिवारों को 50 लाख से 1 करोड़ का मुआवजा दे। यह उनके परिवारों को भारी नुकसान के प्रभाव से निपटने में मदद करेगा।”

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथि श्री उमाकांत लखेरा ने अपने संबोधन में कहा, “क्षेत्रीय और स्थानीय समाचार पत्र और स्ट्रिंगर देश के शीर्ष मीडिया घरानों की रीढ़ हैं। महामारी ने उनके पेशे, अंततः उनकी आजीविका को प्रभावित किया है। पत्रकारिता के प्रहरी के रूप में हम सामूहिक रूप से मानते हैं कि हर किसी को उन लोगों के समर्थन में आगे आना चाहिए जिन्होंने हमें कोरोना वायरस पर स्वास्थ्य संबंधी हर जानकारी के बारे में बताया, जबकि देश के बाकी हिस्सों में देशव्यापी लॉकडाउन चल रही थी। हम मांग करते हैं कि महामारी से मरने वाले 60 वर्ष की आयु से ज़्यादा के पत्रकारों को हर महीने 25000 रुपये की पेंशन राशि मुआवज़ा के तौर पर दी जानी चाहिए।

शिक्षाविद् मनोज कुमार शर्मा ने कहा, ‘मैं सभी राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्र सरकार से पत्रकारों के लिए समूह बीमा योजना लागू करने का आग्रह करता हूं। प्रेस के निकायों को डॉक्टरों की तरह ‘कोविड योद्धाओं’ की श्रेणी में पत्रकारों को शामिल करने के लिए सरकारों को मदद तथा समान लाभ प्रदान करना चाहिए और उन सभी पत्रकारों के परिजनों को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए जिनकी कोरोना के कारण मृत्यु हो गई।”.

You cannot copy content of this page