अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर खुशनुमा परवीन ने अपनी स्वरचित कविता के माध्यम से कहा- “आज की नारी सब में भारी”

ख़बर शेयर करें

आज की नारी सब में भारी, आज की नारी सब में भारी,

ओलंपिक में जीती भारतीय नारी,

पुरुषों को छोड़ा पीछे दिखाया अपना दम,

भारतीय नारी को न समझो किसी से कम,

आज की नारी सब में भारी,

नारीयों की शक्ति से चमकता देश हमारा,

अब इससे बड़ा सौभाग्य क्या होगा हमारा,

आज की नारी सब में भारी,

नारी है तो परिवार है, नारी है तो देश है,

नारीयों के जज्बे से जगमगाता पूरा देश है,

लहू में कतरा-कतरा जोश का दौड़ता है,

यह भारतीय नारी है जनाब हार कहा मानती है,

आज की नारी सब में भारी,

गया अब वह दौर जब नारी को अछूत माना जाता था,

यह नया भारत है जनाब, यहां नारी को कल का भविष्य माना जाता है।

You cannot copy content of this page