उत्तराखंड के प्रकृति पर्वों को कुविवि के पाठ्यक्रम में किया जायेगा शामिल – कुलपति, प्रो० एन०के० जोशी
कुमाऊँ विश्वविद्यालय के प्रशासनिक परिसर एवं कृषि विज्ञान विभाग में आज हरेला पर्व के अवसर पर अधिकारियों, प्राध्यापकों एवं कर्मचारिगणों द्वारा एचडीएफसी बैंक के सौजन्य से वृक्षारोपण कर विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करते हुए पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्द्धन का संकल्प लिया गया।
इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को वृक्षारोपण के महत्व को बताते हुए कुलपति, प्रो० एन०के० जोशी द्वारा लगाए गए वृक्षों की देखभाल किए जाने तथा अपने अन्य संकाय सदस्यों एवं विद्यार्थियों को वृक्षारोपण हेतु प्रोत्साहित किए जाने के लिए कहा गया। मा० कुलपति ने कहा कि हरेला का अर्थ हरियाली से है एवं यह हरियाली जीवन के सभी रूपों में बनी रहे उसी का द्योतक है यह लोक पर्व। यह पर्व खेती से लेकर जीवन तक में खुशहाली और हरियाली से जुडा हुआ है। उन्होंने कहा कि इस दिन के लिए कहा जाता है कि अगर पेड़ की कोई टहनी भी मिट्टी में रोप दी जाए तो वो भी जड़ पकड़ लेती है। यह बात भले ही किवदंती के रूप में प्रचलित हो लेकिन इससे यह भाव तो स्पष्ट हो जाता है कि यह प्रकृति को समर्पित पर्व ही है। उन्होंने यह भी कहा कि शीघ्र ही उत्तराखंड के प्रकृति पर्वों को पाठ्यक्रम में शामिल करने हेतु कार्य योजना बनाई जाएगी।
कुलसचिव श्री दिनेश चंद्रा ने कहा कि पर्यावरणीय सन्तुलन बहुत जरूरी है। यह हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को अच्छा वातावरण दें और यह व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण से ही संभव है। अतः व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण कर हम सभी को पर्यावरण संरक्षण में भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी साथ ही लगाए गए वृक्षों के संरक्षण पर भी विशेष ध्यान देना होगा।
इस अवसर पर कुलपति, प्रो० एन०के० जोशी, कुलसचिव श्री दिनेश चंद्रा, डॉ० विनोद जोशी, बैंक मैनेजर एघडीएफसी श्री बसंत जोशी के साथ विश्वविद्यालय एवं बैंक के कर्मचारिगणों द्वारा बुरांश, जामुन, देवदार एवं मोरपंखी के वृक्ष लगाए गए।