इस बार कुमाऊं में बहुत महत्वपूर्ण एवं शुभ योगों के साथ मनाया जा रहा है दुति-त्यार(भैया दूज) का त्योहार

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धान को 3 रात्रि या पांच रात्रि भिगोने के उपरांत गोवर्धन पूजा के दिन इन्हें तेल की कढ़ाई में कुछ समय तक आग में भूना जाता है इसके बाद तुरंत गर्म अवस्था में ओखली में मुसल द्वारा कूटा जाता है। यह धान से चावल को अलग करने की पारंपरिक विधि है। आग में भुने हुए होने के कारण यह स्वादिष्ट होता है इसे ही च्यूडे कहा जाता है। च्यूडे को ओखली में मुसल से कूटने से पूर्व धूप जलाकर सर्वप्रथम ओखल की पूजा की जाती है। ओखल की पूजा का मुख्य उद्देश्य यह है कि इस ओखल में कूटा अनाज संपूर्ण परिवार को वर्ष भर खाने को पर्याप्त मिले और परिवार के किसी भी सदस्य को भूखे पेट न सोना पड़े। भाई दूज (दुतिया त्यार) के दिन प्रातः स्नान एवं पूजा पाठ के उपरांत घर की सयानी महिलाएं सर्वप्रथम च्यूडे कुल इष्ट मंदिरों घर के मंदिर में चढ़ाते हैं। तदुपरांत परिवार के प्रत्येक सदस्य के सिर में चढ़ाते हैं। सिर में चढ़ाने से पूर्व सरसों के तेल को दूर्वा अर्थात दूब के तिनकों से सिर में लगाया जाता है। परिवार के सभी जन एक दूसरे को च्यूडे पूजते हैं। मुख्यतः बहन भाई को च्यूडे पूजती है। इस दिन यमराज भी अपनी बहन यमुना के यहां च्यूडे पूजने जाते हैं
जी रया जागि रया ।
यो दिन मास भेटनै रया।
सिहक जस तराण
स्यावक जस बुद्धि हो।
धरती जतुक चकाव
अकास जतुक उकाव हैया
आदि आशीर्वचन के साथ च्यूडे पूजे जाते हैं। परंतु समय के साथ-साथ नई पीढ़ी को न आशिर्वचनों का महत्व पता है और ना ही च्यूडे के संबंध में जानकारी। अब वर्तमान में यह परंपरा समाप्त होने की कगार पर है। हमें यह परंपरा समाप्त होने से बचाने का यथासंभव प्रयत्न करना चाहिए। हालांकि कुछ गांव एवं घरों में यह परंपरा जीवित है। शहरों में रहने वाले लोग बाजार से मशीनों द्वारा निर्मित पोहा या खिल के द्वारा च्यूड़ा पूजने के लिए लाते हैं परंतु उन पोहा में न स्वाद है और न ही अपनापन।
आमा ईजा काखी ज्याडजा के हाथों की महक पोहों में नहीं होती। प्रगति एवं विकास ने हमसे हमारी लोक-संस्कृति तो छीन ही ली है साथ ही अपनापन भी छीन लिया।
च्यूडे पूजने के अतिरिक्त खाये भी जाते हैं। च्यूडे के साथ अखरोट सोयाबीन आदि मिलाकर खाया जाता है।
शुभमुहूर्त,,,,,,,इस बार भाई दूज दिनांक 27 अक्टूबर 2022 दिन बृहस्पतिवार को है इस दिन द्वितीया तिथि 15 घड़ी 52 पल अर्थात दोपहर 12:45बजे तक है यदि नक्षत्रों की बात करें तो इस दिन विशाखा नामक नक्षत्र 14 घड़ी 17 पल अर्थात दोपहर 12:07 बजे तक है। यदि योग की बात करें तो इस दिन आयुष्मान नामक योग दो घड़ी साथ पल अर्थात प्रातः 7:26 बजे तक है। यदि करण की बात करें तो इस दिन कौलव नामक करण 15 घड़ी 52 पल अर्थात दोपहर 12:45 बजे तक है। इन सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन चंद्रमा की स्थिति को जाने हैं तो इस दिन चंद्र देव प्रातः 6:26 तक धनु राशि में रहेंगे तदुपरांत चंद्रदेव वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे।
एक महत्वपूर्ण बात इस दिन प्रातः से मध्यान्ह 12:07 तक विशाखा नक्षत्र होने से प्रवर्धन योग बनता है। तदुपरांत अनुराधा नक्षत्र उदय होगा अनुराधा नक्षत्र और गुरुवार के सहयोग से आनंद योग बनता है यदि विष्कुंभ आदि योग की बात करें तो इस दिन 27 लोगों में सबसे महत्वपूर्ण सौभाग्य योग प्रातः 7:26 बजे से अगले दिन प्रातः 4:32 बजे तक है।
इन सबसे महत्वपूर्ण यदि भैया को तिलक करने के मुहूर्त की बात करें तो प्रातः 7:26 बजे से दोपहर 3:27 बजे तक शुभ मुहूर्त है।
अतः इस प्रकार के योगों से निर्मित इस बार का भैया दूज त्योहार भैया एवं बहनों के लिए मधुरता, प्रेम एवं समृद्धि का त्योहार माना जाएगा।

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