भारत के महान एवम विश्विख्यात एथलेटिक खिलाड़ी मिल्खा सिंह के निधन पर कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा)ने शोक व्यक्त कर दी श्रद्धांजलि

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भारत के महान एवम विश्विख्यात एथलेटिक खिलाड़ी मिल्खा सिंह के निधन पर कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा)ने शोक व्यक्त किया तथा श्रद्धांजलि दी।

भारत के ‘उड़न सिख’ यानी फ्लाइंग सिख के नाम से विख्यात महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह का एक महीने तक कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद शुक्रवार देर रात निधन हो गया।
उन्होंने सन 1956 के मेर्लबोन्न ओलिंपिक खेलों में 200 और 400 मीटर में भारत का प्रतिनिधित्व किया

इसके बाद सन 1958 में कटक में आयोजित राष्ट्रिय खेलों में उन्होंने 200 मी और 400 मी प्रतियोगिता में राष्ट्रिय कीर्तिमान स्थापित किया और एशियन खेलों में भी इनदोनोंप्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक हासिल किया। साल 1958 में उन्हें एक और महत्वपूर्ण सफलता मिली जब उन्होंने ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया। इस प्रकार वह राष्ट्रमंडल खेलों के व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले स्वतंत्र भारत के पहले खिलाडी बन गए। जनरल अयूब खान ने उन्हें ‘उड़न सिख’ कह कर पुकारा।
इसके बाद 1962 के जकार्ता में आयोजित एशियन खेलों में मिल्खा ने 400 मीटर और 4 X 400 मीटर रिले दौड़ में स्वर्ण पदक जीता।
वर्ष 2013 में मिल्खा ने अपनी बेटी सोनिया संवलका के साथ मिलकर अपनी आत्मकथा ‘The Race of My Life’ लिखी।
कूटा की तरफ प्रो. ललित तिवारी, डॉ.विजय कुमार, डॉ.सुहैल जावेद, डॉ.दीपिका गोस्वामी, डॉ.दीपक कुमार, डॉ.पैनी जोशी, डॉ.प्रदीप कुमार, डॉ.सीमा चौहान, डॉ.गगन होती, डॉ.रीतेश साह इत्यादि शामिल रहें।

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