प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश जी को देवताओं के बीच कैसे प्राप्त हुआ यह महत्वपूर्ण पद ? क्या है माघ संकष्ट चतुर्थी कथा ? आइए जानते हैं

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प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश जी को देवताओं के बीच कैसे प्राप्त हुआ यह महत्वपूर्ण पद ? क्या है माघ संकष्ट चतुर्थी कथा ? आइए जानते हैं,,,,,,,,,,,,,बहुत महत्वपूर्ण है माघ मास की संकष्टी चतुर्थी आज ही बनाया जाता है तिल का पहाड़। एवं आज की कथा के अनुसार ही भगवान गणेश जी दौड़ की प्रतिस्पर्धा में आए थे प्रथम।,,,,,,, वैसे तो प्रतिमाह संकष्टी चतुर्थी आती है परंतु इन सब में माघ मास की संकष्टी चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन माताएं अपने पुत्रों की रक्षा हेतु यह व्रत रखती है। इस बार सन् 2022 में शुक्रवार दिनांक 21 जनवरी 2022 को संकष्टी चतुर्थी व्रत मनाया जाएगा। संकष्टी चतुर्थी को तिलकुट चतुर्थी संकटा चौथ माघ संकष्टी आदि नामों से जाना जाता है यह व्रत प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश जी को समर्पित होता है संकष्ट चतुर्थी व्रत संतान की रक्षा के लिए रखा जाता है। इस व्रत को रखने से सभी प्रकार के संकट भी दूर हो जाते हैं। संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश के अतिरिक्त भगवान भोले शंकर एवं माता पार्वती कार्तिकेय नंदी एवं चंद्र देव की पूजा का विधान भी है। मुख्य रूप से आज प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश जी के 12 नामों का ध्यान किया जाता है। ताकि भविष्य में आने वाली सभी कठिनाइयों से मुक्ति मिले सभी 12 महीने जीवन सुखमय रहे।
प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश जी के 12 नाम निम्न प्रकार से हैं।
सुमुख एकदंत कपिल गजकर्णगजकर्णक लंबोदर विकट विघ्न नाश विनायक धूम्रकेतु गण अध्यक्ष भालचंद्र गजानन।
इन सब के अतिरिक्त इस दिन तिलकुट का पहाड़ बनाया जाता है।
पूजा विधि, ,,,, माघ मास के संकष्टी चतुर्थी में गणेश जी की पूजा कर भगवान को भोग लगाने के बाद कथा श्रवण किया जाता है शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही गणेश जी का व्रत संपन्न किया जाता है। इस दिन कई मंदिरों व घरों में तिलकुट का पहाड़ बनाकर उसको भी काटे जाने की परंपरा है। संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी के संकट मोचन का पाठ करना शुभ माना जाता है। भगवान गणेश के साथ चंद्र देव की पूजा भी की जाती है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। रात में चंद्रमा देखने पर अर्घ्य देती हैं और पूजा करते हैं। इस दौरान छोटा सा एक हवन कुंड भी तैयार किया जाता है। हवन कुंड की परिक्रमा करके महिलाएं चंद्र देव के दर्शन करती हैं। और अपनी संतान के लिए चंद्रदेव से आशीर्वाद मांगते हैं।
माघ संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा, ,,,,,,,, पद्म पुराण के अनुसार आज ही के दिन कार्तिकेय के साथ धरती की परिक्रमा लगाने की प्रतिस्पर्धा में भगवान गणेश जी ने पृथ्वी की परिक्रमा के बजाय भोलेनाथ और मां पार्वती की सात बार परिक्रमा की थी। तब शिवजी ने प्रसन्न होकर देवों में प्रमुख मानते हुए उनको प्रथम पूजा का अधिकार दिया था। इसी कथा के अंतर्गत तिल चौथ की कथा आती है वह इस प्रकार है एक शहर में देवरानी जेठानी रहती थी। जेठानी अमीर की और देवरानी गरीब थी। देवरानी गणेश जी की भक्त थी। देवरानी का पति जंगल से लकड़ी काट कर भेजता था और अक्सर बीमार रहता था। देवरानी जेठानी के घर का सारा कार्य करती थी। बदले में जेठानी बचा हुआ खाना पुराने कपड़े आदि उसको दे देती थी इसी में देवरानी का परिवार चल रहा था। एक बार माघ महीने में देवरानी में तिल चौथ का व्रत किया। पास आने का तिल व गुड़ लाकर तिलकुटा बनाया। पूजा करके तिल चौथ की कथा सुनी और तिलकुटा छींके मैं रख दिया और सोचा कि चांद उदय होने पर पहले तिलकुटा और उसके बाद ही कुछ खाएगी। कथा सुनकर वह जेठानी के यहां चली गई। खाना बनाकर जेठानी के बच्चों से खाना खाने को कहा तो बच्चे बोले मां ने व्रत किया है और मां भूखी है। जब मां खाना खाएगी तब हम भी खाएंगे। जेठ जी को खाना खाने को कहा तो जेठ जी बोले मैं अकेला नहीं खाऊंगा। जब चांद निकलेगा तब सभी खाएंगे मैं भी खा लूंगा। जेठानी ने उसे कहा कि आज तो किसी ने भी अभी तक खाना नहीं खाया तुम्हें कैसे दे दूं? तुम सुबह सवेरे ही बचा हुआ खाना ले जाना। देवरानी के घर पर पति बच्चे सब आस लगाए बैठे थे कि आज तो चौहान है इसलिए कुछ पकवान आदि खाने को मिलेगा। परंतु जब बच्चों को पता चला कि आज तो रोटी भी नहीं मिलेगी तो बच्चे रोने लगे। उसके पति को भी बहुत क्रोध आया कहने लगा सारा दिन काम करके भी दो रोटी नहीं ला सकती तो काम क्यों करती हो? पति ने गुस्से में आकर पत्नी को कपड़े धोने के मोगरे से मारा। वह बेचारी गणेश जी को याद करती हुई रोते-रोते पानी पीकर हो गई। उस दिन गणेश जी देवरानी के सपने में आए और कहने लगे मोगरे मारे पाटे मारे सो रही है या जाग रही है। वह बोली कुछ सो रही हूँ कुछ जाग रही हूँ । गणेश जी बोले भूख लगी है कुछ खाने को दे दे। देवरानी बोली क्या दूं? मेरे घर में तो अन्न का एक दाना भी नहीं है। जेठानी बचा खुचा खाना देती थी आज वह भी नहीं मिला। पूजा का बचा हुआ तिलकुटा छींके में पडा है वही खा लो। तिलकुटा खाने के बाद गणेश जी बोले धोवन मारी पाटे मारी निमटाई लगी है कहाँ निमटें ? तत्पश्चात गणेश जी बच्चे की तरह बोले अब कहां पोछों ? नींद में मगन अब देवरानी को बहुत क्रोध आया बोली कि कब से परेशान किए जा रहे हैं मेरे सर पर पूछो सुबह जब देवरानी उठी तो यह देख कर हैरान रह गई की पूरा घर हीरे मोती से जगमग आ रहा था सिर पर जहां विनायक जी पोंछनी कर गये थे वहां हीरे मोती जगमग आ रहे थे। उस दिन देवरानी जेठानी के यहां काम करने नहीं गई। बड़ी देर तक राह देखने के बाद जेठानी ने बच्चों को देवरानी को बुलाने भेजा। जेठानी ने सोचा कल खाना नहीं दिया इसलिए शायद देवरानी बुरा मान गई है। बच्चे बुलाने गए और बोले चाची चलो मां ने बुलाया है सारा काम पड़ा है। देवरानी ने उत्तर दिया अब उसकी आवश्यकता नहीं है। घर में सब भरपूर है गणेश जी के आशीर्वाद से। बच्चों ने घर जाकर मां को बताया कि चाची का तो पूरा घर हीरे मोतियों से जगमग आ रहा है। जेठानी दौड़ती हुई देवरानी के पास आई और पूछा कि यह सब कैसे हुआ? देवरानी ने उसके साथ जो हुआ सब कह डाला। घर लौट कर जेठानी अपने पति से कहा कि आप मुझे मोगरे और पाटे से मारो। उसका पति बोला कि भली मानस मैंने कभी तुम पर हाथ भी नहीं उठाया। मैं तुम्हें पाटे से कैसे मारूं? वह नहीं मानी और जिद करने लगी। मजबूरन पति को उसे मारना पड़ा। उसने ढेर सारा घी डाल कर चूरमा बनाया और छींके में रखकर सो गई। रात को चौथ विनायक जी सपने में आए और कहने लगे भूख लगी है क्या खाऊं? जेठानी ने कहा हे गणेश जी महाराज मेरी देवरानी के यहां तो आपने तिलकुटा खाया था मैंने तो शुद्ध घी का चूरमा बनाकर आपके लिए ठेके में रखा है। और मेरे भी रखे हैं जो चाहे खा लीजिए। बालस्वरूप गणेश जी बोले अब निपटे कहां जेठानी बोली उसके यहां तो टूटी फूटी झोपड़ी थी मेरे यहां तो कंचन के महल हैं जहां चाहो निपटो । फिर गणेश जी ने पूछा अब पूछूं कहां? जेठानी बोली मेरे ललाट पर बड़ी सी बिंदी लगा कर पूछ लो। धन की भूखी जेठानी सुबह बहुत जल्दी उठ गई। सोचा घर हीरे जवाहरात से भर चुका होगा। पर देखा तो पूरे घर में गंदगी लगी हुई थी। उसने कहा है गणेश जी महाराज यह आपने क्या कर दिया। मुझसे रूठे और देवरानी पर टूटे। जेठानी ने घर की बहुत सफाई करनी चाहिए परंतु गंदगी और ज्यादा फैलती गई। जेठानी के पति को मालूम चला तो वह भी बहुत क्रोधित हुआ और बोला तेरे पास इतना सब कुछ था फिर भी तेरा मन नहीं भरा। परेशान होकर चौथ के गणेश जी से मदद की विनती करने लगी। गणेश जी ने कहा देवरानी से जलन के कारण तूने जो किया था यह उसी का परिणाम है। अब तू अपने धन में से आधा उसे दे देगी तभी यह सब साफ होगा। उसने आधा धन बांट दिया चिंटू मोहरों की एक हार्डी चूल्हे के नीचे गाड़ रखी थी। उसने सोचा किसी को पता नहीं चलेगा। और उसने उस धन को नहीं बांटा उसने कहा है गणेश जी अब तो अपना यह बिखराव समेटो गणेश जी बोले पहले चूल्हे के नीचे गड़ी हुई मोहरों की हाडी सहित ताक में रखी दो सुई के दो हिस्से कर। इस प्रकार गजानन के बालस्वरूप में आकर सुई जैसी छोटी वस्तु का भी बंटवारा किया और अपनी माया समेटी हे गणेश जी महाराज जैसी आपने देवरानी पर कृपा की वैसे सब पर करना। कहानी कहने वाले सुनने वाले वह ओमकारा भरने वाले सब पर अपनी कृपा करना। परंतु जेठानी को जैसी सजा दी वैसी किसी को मत देना। बोलो गणेश जी महाराज की जय! !!
शुभ मुहूर्त, ,,, इस बार सन् 2022 में शुक्रवार दिनांक 21 जनवरी 2022 को माघ संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। इस दिन चतुर्थी तिथि प्रारंभ प्रातः 8:54 से प्रारंभ होगी। यदि नक्षत्रों की बात करें तो इस दिन प्रातः 9:43 तक मघा नामक नक्षत्र है तदुपरांत पूर्वाफाल्गुनी नामक नक्षत्र उदय होगा। बात यदि करण की करें तो इस दिन प्रात है 8:54 तक विष्टि नामक करण है तदुपरांत बव नामक करण है वह भी उसी दिन रात 9:09 में अस्त होगा। इस दिन सौभाग्य नामक योग दिन में 3:03 तक रहेगा। 21 जनवरी को सूर्योदय प्रातः 7:06 पर होगा एवं सूर्यास्त शाम 5:40 पर होगा। इस दिन चंद्रोदय साईं 8:48 पर होगा। यदि बात चंद्रमा की स्थिति की करें तो इस दिन चंद्रदेव पूर्णरूपेण सिंह राशि में रहेंगे।

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