मुस्कान प्रोजेक्ट में छात्रों को भारतीय संस्कृति एवं इसकी विरासत की दी जा रही हैं, जानकारी
देहरादून/हरिद्वार। प्रोजेक्ट ‘मुस्कान’ के तहत प्रभा खेतान फाउंडेशन और एजुकेशन फॉर ऑल ट्रस्ट एवं श्री सीमेंट की तरफ से संयुक्त...
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देहरादून- श्री नन्द लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन, को माननीय शिक्षा, भाषा और संस्कृति मंत्री, हिमाचल प्रदेश सरकार...
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दत्तात्रेय जयंती का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस वर्ष सन 2021 में दत्तात्रेय जयंती अथवा मार्गशीर्ष पूर्णिमा दिनांक...
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मोक्षदा एकादशी व्रत।,,,,,,,, प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। और...
मसूरी/देहरादून। सर जॉर्ज एवरेस्ट हाऊस जो कि बड़ी ही खस्ता हालत में था के जीर्णोद्वार के बाद अब एक प्रमुख पर्यटन केन्द्र के रूप सामने आएगा। निश्चित विश्व के पर्यटक इस आर्कषण स्थान को देखने के लिए बड़ी संख्या में यहाँ आयेंगे। उक्त बात मंगलवार को मसूरी स्थित सर जॉर्ज एवरेस्ट हाऊस के जीर्णोद्वार के पश्चात उसके लोकार्पण अवसर पर प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कही। मसूरी स्थित सर जॉर्ज एवरेस्ट हाऊस के जीर्णोद्वार के पश्चात लोकार्पण अवसर पर मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि विश्व की सबसे ऊंची चोटी 'माउंट एवरेस्ट' की पहली बार सही ऊंचाई और लोकेशन बताने वाले सर जॉर्ज एवरेस्ट के मसूरी स्थित हाऊस के जीर्णोद्वार के पश्चात लोकार्पण करते हुए उन्हें अपार प्रसन्नता हो रही है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का नाम 'माउंट एवरेस्ट' रखा गया, उन्होंने जीवन का एक लंबा अर्सा पहाड़ों की रानी मसूरी में गुजारा था। वेल्स के इस सर्वेयर एवं जियोग्राफर ने ही पहली बार एवरेस्ट की सही ऊंचाई और लोकेशन बताई थी। इसलिए ब्रिटिश सर्वेक्षक एंड्रयू वॉ की सिफारिश पर वर्ष 1865 में इस शिखर का नामकरण उनके नाम पर हुआ। इससे पहले इस चोटी को 'पीक-15' नाम से जाना जाता था। श्री महाराज ने कहा कि पहाड़ों की रानी मसूरी, हाथीपांव के समीप स्थित 172 एकड़ के बीचों बीच बने सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस (आवासीय परिसर) और इससे लगभग 50 मीटर दूरी पर स्थित प्रयोगशाला (ऑब्जर्वेटरी) जिसका निर्माण 1832 में हुआ था। जब मैं यहाँ आया तो इसकी जर्जर हो चुकी स्थिति को देखकर मैंने फिर से इसे पुराने स्वरूप में खड़ा करने का संकल्प लिया जो कि आज साकार हो चुका है।उन्होने कहा कि भवन के जीर्णोद्धार का कार्य अनलॉक के बाद 18 जनवरी 2019 को प्रारम्भ करवाया गया था। 23 करोड़ 69 लाख 47 हजार रुपये की लागत से सर जॉर्ज एवरेस्ट (आवासीय परिसर) समेत उसके आसपास के क्षेत्र के जीर्णोद्धार का काम तभी से लगातार चल रहा था। श्री महाराज ने कहा कि उत्तराखंड पर्यटन संरचना विकास निवेश कार्यक्रम के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक की तरफ से वित्त पोषित योजना के तहत किये गये सर जॉर्ज एवरेस्ट हेरिटेज हाऊस के सभी कार्य लगभग पूर्ण हो चुके हैं। श्री महाराज ने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण मसूरी स्थित इस ऐतिहासिक धरोहर "सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस" जो कि पूर्व में बेहद खस्ता हालत में था का जीर्णोद्धार कर इसके मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए की भाँति सीमेंट की जगह चक्की में पीस कर बनाए गए मिश्रण से बनाया गया है। इसके जीर्णोद्धार में चक्की में चूना, सुर्खी, मेथी और उड़द की दाल को पानी के साथ पीसकर सीमेंट जैसा लेप बना कर लाहौरी ईंटों का प्रयोग किया गया है। उन्होने बताया कि जॉर्ज एवरेस्ट हाउस नवीनीकरण एवं पुनरुद्धार, वेधशाला नवीनीकरण व पुर्नस्थापन, आउट हाउस और बैचलर रूम का नवीनीकरण, एप्रोच रोड, ट्रेक रूट, ओपन एयर थिएटर, प्रदर्शन ग्राउंड के निर्माण और चार मोबाइल शौचालय, पांच फूड वैन एवं दो टूरिस्ट बस आदि पर अब तक 16 करोड़ 41 लाख रूपये की धनराशि खर्च की जा चुकी है जबकि शेष कार्य शीघ्र पूर्ण कर लिया जाएगा। श्री महाराज ने इस मौके पर टूरिस्ट वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने के अलावा "द ग्रेट अॉर्क" पुस्तक का विमोचन करने के साथ-साथ जॉर्ज एवरेस्ट हाऊस परिसर में वृक्षारोपण भी किया। इस अवसर पर अपर कार्यक्रम निदेशक आर. के. तिवारी, जिला पर्यटन अधिकारी जसपाल चौहान, प्रभागीय वन अधिकारी कहकशा नसीम, उजेन, मसूरी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष आर.एन. माथुर, इतिहासकार गोपाल भारद्वाज, उत्तराखंड होटल एसोसिएशन अध्यक्ष संदीप साहनी, जिला पंचायत सदस्य भगवान सिंह रावत एवं सीमा शर्मा आदि मौजूद थे।
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