“महिला सशक्तिकरण व लिंग आधारित संवेदनशीलता” विषय पर सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ शुभारम्भ

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नारी शक्ति को सम्मानजनक स्थान प्रदान करते हुए देश के विकास में बराबर की सहभागिता प्रदान कर राष्ट्र को अधिक सक्षम बनाना होगा – महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह
भारत द्वारा जी-20 की अध्यक्षता के ऐतिहासिक अवसर पर कुविवि द्वारा आयोजित “महिला सशक्तिकरण व लिंग आधारित संवेदनशीलता” विषय पर सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ शुभारम्भ
आज गुरुवार, दिनाँक 2 मार्च 2023 को आजादी के अमृतकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत द्वारा जी-20 की अध्यक्षता के महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक अवसर पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय द्वारा “महिला सशक्तिकरण व लिंग आधारित संवेदनशीलता” विषय पर आयोजित की जा रही सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारम्भ मुख्य अतिथि के रूप में महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह द्वारा ऑनलाइन माध्यम से किया गया।

कार्यक्रम के आरम्भ में विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना एवं कुलगीत की सुमधुर प्रस्तुति दी एवं कुलपति प्रो० एन०के० जोशी ने मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति के साथ ही उपस्थित शिक्षाविदों का सम्पूर्ण विश्वविद्यालय परिवार की ओर से हार्दिक स्वागत व अभिनन्दन किया गया।

प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने उपस्थित प्राध्यापकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक तरक्की को बढ़ावा देने से है। देश में विकास को आगे बढ़ाने के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत महत्वपूर्ण यंत्र है। ये परिवारों और समुदायों के स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार करने के साथ-साथ अगली पीढ़ी को बेहतर मौके प्रदान करके गरीबी को कम करने में मदद कर सकता है।
महामहिम राज्यपाल ने कहा कि हमारे देश की महिलाओं को यदि अवसर दिया जाय तो वह किसी भी चुनौती का सामना करने की पूरी क्षमता रखती हैं। भारत के विकास के साथ-साथ महिलाओं की आकांक्षाएँ तथा उनकी उम्मीदों में निरन्तर बढोत्तरी हो रही है। आज हमारे देश की महिलाएं अपनी उपलब्धियों से देश का गौरव बढ़ा रही हैं।
महामहिम राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में जहाँ भारत की नारी शक्ति की क्षमताओं को स्वीकारते हुए देश के विकास में उनके द्वारा निर्वाह की जाने वाली भूमिका की चर्चा की वहीं उन्होंने मातृशक्ति के नेतृत्व को भारत के विकास के साथ भी जोड़ा। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में नारी को पूजनीय और देवी के तुल्य माना गया है। हमारी धारणा यह रही है कि जहां पर समस्त नारी जाति को प्रतिष्ठा व समान की दृष्टि से देखा जाता है वहीं पर देवता निवास करते हैं। उन्होंने ज्ञान की देवी सरस्वती, शक्ति की प्रतीक दुर्गा, धन की देवी लक्ष्मी एवं पवित्रता की देवी गंगा का उल्लेख करते हुए कहा कि इन सभी क्षेत्रों का नारी शक्ति से सम्बन्धित होना स्पष्ट करता है कि आदिकाल से ही भारत में महिलाओं को एक सशक्त दर्जा प्राप्त रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की नारी शक्ति को सम्मानजनक स्थान प्रदान करते हुए देश के विकास में महिलाओं को बराबर की सहभागिता प्रदान कर राष्ट्र को अधिक सक्षम बनाना होगा।
महामहिम राज्यपाल ने सरकारी स्तर पर महिलाओं के विकास व सशक्तिकरण हेतु निर्मित योजनाओं का उल्लेख करने के साथ ही निजी क्षेत्र में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए किये जा रहे कार्यों का भी उल्लेख किया। इसी के साथ उन्होंने कहा कि हम चाहे जितनी भी योजनाएं बना ले पर वास्तविक बदलाव तभी आयेगा, जब हम खुद में बदलाव लायेंगे। जब हम महिलाओं के प्रति अपने विचारों और कार्यशैली में बदलाव लायेंगे तभी महिला सशक्तिकरण के विषय में सार्थक बदलाव देखने को मिलेगा।
महामहिम राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा जी 20 समूह की अध्यक्षता ग्रहण करना न सिर्फ सम्पूर्ण देश के लिए गौरव की बात है बल्कि हमारे देश को अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में भी सशक्त स्थिति प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि भारत G20 अध्यक्ष के रूप में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के मुद्दे पर पूरी दुनिया को एक नई और सुदृढ़ राह दिखा रहा है। विकास के सभी स्तरों पर भारत की अध्यक्षता सही मायने में लैंगिक चिंताओं को शामिल करने, हर महिला के लिए सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने और एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए उनके सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण को सुनिश्चित करती है।

प्रशिक्षण कार्यशाला के शुभारम्भ के अवसर पर कुलपति प्रो० एन०के० जोशी ने कहा कि कोई भी परिवार समाज तथा राज्य तब तक तब तक सच्चे अर्थों में प्रगति की ओर अग्रसर नहीं हो सकता जब तक नारी के प्रति भेदभाव, निरादर व निम्नता के भाव का त्याग नहीं करता है। जिस समाज में नारी का स्थान सम्मानजनक होता है वह उतना ही प्रगतिशील और विकसित होता है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण का मुख्य लाभ समाज से जुड़ा हुआ है. अगर हम लोगों को अपने देश को एक शक्तिशाली देश बनाना है, तो उसके लिए हम लोगों को समाज की महिला को भी शक्तिशाली बनाने की जरूरत है। महिलाओं के विकास का मतलब होता है कि आप एक परिवार का विकास का कार्य कर रहे हैं। अगर महिला शिक्षित होगी, तो वो अपने परिवार को भी पढ़ा-लिखा बनाने की कोशिश करेगी, जिसके चलते हमारे देश को पढ़े-लिखे नौजवान मिलेंगे. जो कि देश की तरक्की में अपनी योगदान दे सकेंगे।
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से भारतीय समाज में नारी का विशेष स्थान रहा है। वैदिक काल में नारी का स्थान बहुत ही सम्मानजनक था और हमारा अखंड भारत विश्वआरा, अपाला, गार्गी, मैत्रेयी, सावित्री, श्रद्धा और देवयानी जैसी विदुषी नारियों के लिए जाना जाता है। उन दिनों परिवार मातृसत्तात्मक था। खेती की शुरूआत तथा एक जगह बस्ती बनाकर रहने की शुरूआत नारी ने ही की थी, इसलिए सभ्यता और संस्कृति के प्रारम्भ में नारी है किन्तु कालान्तर में धीरे-धीरे सभी समाजों में सामाजिक व्यवस्था मातृ-सत्तात्मक से पितृसत्तात्मक होती गई और नारी समाज के हाशिए पर चली गई।
कुलपति प्रो० जोशी ने कहा कि जहाँ पूर्व में हमारे यहां महिलाओं को देवी के रुप में पूजा जाता है वहीं आज हमें समाज में महिलाओं की दशा और दिशा को लेकर विचार करना पड़ रहा है। कुलपति ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि इस कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्र से जुडे विद्दवान महिलाओ के विकास को लेकर चिंतन कर रहे है। लेकिन इसकी सार्थकता तभी होगी जब इसका फायदा जमीनी स्तर पर महिलाओं को मिले।

प्रशिक्षण कार्यशाला को प्रो० नीता बोरा शर्मा, प्रो० चन्द्रकला रावत, प्रो० सुषमा टम्टा, प्रो० नीलू लोधियाल, प्रो० गीता तिवारी द्वारा भी सम्बोधित किया गया। प्रशिक्षण कार्यशाला के शुभारम्भ सत्र के अन्त में संकायाध्यक्ष कला संकाय प्रो० इन्दु पाठक द्वारा मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह के साथ ही उपस्थित समस्त अतिथियों, शिक्षाविदों, ऑनलाईन माध्यम से सम्मिलित सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यों, विद्यार्थियों तथा मीडिया कर्मियों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डा० रीतेश साह द्वारा किया गया।

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